सरकारी पैसे से मज़हबी शिक्षा कब तक? असम में 'मदरसा बंदी' की ज़रूरत क्यों पड़ी? कुरान की शिक्षा तो भगवद्गीता और बाइबिल क्यों नहीं? इस मुद्दे पर लखनऊ के दर्शक आनंद किशोर पांडेय ने कहा, सरकारी खर्चों पर धार्मिक शिक्षा बिलकुल नहीं होनी चाहिए. ये पैसा सरकार का है, जो जनता से आता है इसका उपयोग किसी भी धर्म के प्रचार में नहीं लगाना चाहिए.
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